वायु सेना को मिला स्पेन में बना आखिरी C-295 विमान, अब बाकी 40 टाटा की गुजरात फैक्ट्री में होंगे तैयार

वायु सेना को मिला स्पेन में बना आखिरी C-295 विमान, अब बाकी 40 टाटा की गुजरात फैक्ट्री में होंगे तैयार


भारतीय वायु सेना (IAF) की ताकत में एक बड़ा इजाफा हुआ है। स्पेन के सेविला शहर में एयरबस डिफेन्स एंड स्पेस की प्रोडक्शन फैसिलिटी में बना 16वां और आखिरी C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सफलतापूर्वक भारत को मिल गया है।

यह डिलीवरी इस महत्वपूर्ण खरीद प्रोग्राम के पहले चरण का समापन है। अब इस प्रोजेक्ट का अगला और सबसे अहम चरण भारत में शुरू होगा, जहाँ बाकी बचे विमान 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत बनाए जाएँगे।

यह आखिरी विमान एयरबस की स्पेनिश फैसिलिटी से सीधे भारत भेजा गया है।

C-295 एक आधुनिक और भरोसेमंद टैक्टिकल एयरलिफ्टर है, जो वायु सेना के पुराने हो चुके Avro-748 विमानों के बेड़े की जगह लेगा। इस नए विमान के आने से सेना की ऑपरेशनल तैयारी और भी मजबूत होगी।

इसका इस्तेमाल सैनिकों और सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने, स्पेशल ऑपरेशन्स और आपदा राहत जैसे कई महत्वपूर्ण मिशनों में किया जाएगा।

अब वडोदरा में शुरू होगा प्रोडक्शन​

स्पेन से सभी 16 विमानों की डिलीवरी पूरी होने के बाद, अब सभी की नजरें गुजरात के वडोदरा पर हैं।

यहाँ टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL), एयरबस डिफेन्स एंड स्पेस के साथ मिलकर बाकी 40 C-295 विमानों के लिए एक विशाल फाइनल असेंबली लाइन (FAL) स्थापित कर रही है।

यह भारत में अपनी तरह की पहली प्राइवेट सेक्टर की एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग परियोजना है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

वडोदरा की यह फैक्ट्री पूरी रफ्तार से काम कर रही है और उम्मीद है कि यहाँ बनने वाला पहला विमान सितंबर 2026 तक तैयार हो जाएगा।

इस फैक्ट्री में विमानों के ढाँचे को जोड़ने, फाइनल असेंबली और टेस्टिंग का सारा काम किया जाएगा। इतना ही नहीं, विमान के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों जैसे कि एम्पेनेज (पूंछ का हिस्सा), फ्यूसलेज (मुख्य ढाँचा) और विंग्स (पंख) का निर्माण भी यहीं होगा, जिसमें कई भारतीय सप्लायर्स मदद करेंगे।

यह प्रोग्राम सिर्फ वायु सेना के बेड़े को आधुनिक बनाने के लिए ही नहीं, बल्कि भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और क्षमता निर्माण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। एयरबस धीरे-धीरे प्रोडक्शन प्रोसेस को स्थानीय बनाने, भारतीय इंजीनियरों को ट्रेनिंग देने और एक ऐसी सप्लाई चेन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जो भविष्य के एयरोस्पेस प्रोजेक्ट्स को भी सपोर्ट कर सके।

इस कार्यक्रम से पहले ही 125 से ज्यादा भारतीय MSMI (छोटे और मध्यम उद्योग) जुड़ चुके हैं। टाटा और एयरबस का लक्ष्य भारत में एक ऐसा मजबूत मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस बेस तैयार करना है, जो भविष्य में यहाँ बने विमानों को दूसरे देशों को एक्सपोर्ट भी कर सके।
 

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