भारत के भविष्य के लड़ाकू अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण 'CATS वॉरियर' ड्रोन प्रोग्राम को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। ब्रिटेन की जानी-मानी एयरोस्पेस और डिफ़ेंस कंपनी Rolls-Royce ने इस ड्रोन के लिए एक नया और शक्तिशाली इंजन बनाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। कंपनी ने इसके लिए भारत की सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा है।
क्यों पड़ी एक नए इंजन की ज़रूरत?
सूत्रों के अनुसार, इस साझेदारी की मुख्य वजह कैट्स CATS वॉरियर ड्रोन के डिज़ाइन में हुआ एक बड़ा बदलाव है। पहले इस ड्रोन का अधिकतम टेकऑफ वजन (MTOW) 1.3 टन था, जिसे अब बढ़ाकर 2.1 टन कर दिया गया है। वजन बढ़ने के कारण इसे उड़ान भरने और मिशन को अंजाम देने के लिए पहले से ज़्यादा शक्तिशाली इंजन की ज़रूरत है। इसी ज़रूरत को देखते हुए एचएएल एक नए और दमदार इंजन की तलाश कर रहा है।मौजूदा समय में इस ड्रोन में एचएएल द्वारा निर्मित पीटीएई-डब्ल्यू टर्बोजेट इंजन का इस्तेमाल करने की योजना थी। लेकिन अब बढ़े हुए वजन के साथ, यह साझेदारी भविष्य के लिए एक एडवांस इंजन का रास्ता खोल सकती है, जो न सिर्फ 2.1 टन के ड्रोन को पावर देगा, बल्कि 3 टन के 'कैट्स वॉरियर मार्क-2' वेरिएंट के लिए भी उपयोगी होगा।
क्या है CATS वॉरियर ड्रोन?
CATS (कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम) वॉरियर एक 'लॉयल विंगमैन' की तरह काम करने वाला लड़ाकू ड्रोन है। आसान भाषा में कहें तो यह एक रोबोटिक साथी है जो भारतीय वायु सेना के पायलट वाले लड़ाकू विमानों जैसे तेजस, AMCA, TEDBF, Su-30MKI और जैगुआर के साथ मिलकर दुश्मन का सामना करेगा।इसे HAL के एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिज़ाइन सेंटर (ARDC) ने विकसित किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका 'लो-ऑब्जर्वेबल' या 'स्टेल्थ' डिज़ाइन है, जिसकी वजह से यह दुश्मन के रडार की पकड़ में आसानी से नहीं आता। यह ड्रोन खुद से टेक-ऑफ और लैंडिंग (ATOL) करने में सक्षम है और पायलट वाले विमान के साथ मिलकर एक टीम (Manned-unmanned टीमिंग) के रूप में काम कर सकता है।
भविष्य की योजना और चुनौतियाँ
HAL की भविष्य की योजना CATS वॉरियर का एक और भी उन्नत संस्करण 'मार्क-2' बनाने की है। यह लगभग 3 टन का एक मिनी स्ट्राइक एयरक्राफ्ट होगा, जो हवा से हवा में मार करने वाली 'बियॉन्ड विजुअल रेंज' मिसाइलों (बीवीआरएएएम) जैसे कि स्वदेशी अस्त्र मिसाइल, से लैस होगा।इस मार्क-2 वेरिएंट को अपने बढ़े हुए वजन और हथियारों को ले जाने के लिए और भी ज़्यादा ताकतवर इंजन की ज़रूरत होगी। इसमें कुल 650 किलो के हथियार ले जाने की क्षमता होगी, जिसके लिए चार हार्डपॉइंट्स (दो अंदर और दो बाहर) दिए जाएंगे। ज़ाहिर है, इतने एडवांस मिशन के लिए मौजूदा पीटीएई-डब्ल्यू इंजन पर्याप्त नहीं होगा।
Rolls-Royce और HAL की साझेदारी भारत के लिए नई नहीं है। दोनों कंपनियाँ दशकों से भारतीय वायु सेना के जैगुआर और हॉक विमानों के लिए 'अडूर' इंजन पर सफलतापूर्वक एक साथ काम कर रही हैं। यह पुराना और सफल रिश्ता इस नए प्रस्ताव को और भी मज़बूत बनाता है, जिससे भारत के आत्मनिर्भर डिफ़ेंस इकोसिस्टम को बड़ी ताकत मिल सकती है।